Infant Jesus Church At Shantiniketan Installs  Stations Of The Cross Draws People Of All Faiths

Infant Jesus Church At Shantiniketan Installs Stations Of The Cross Draws People Of All Faiths

शांतिनिकेतन में शिशु यीशु चर्च में क्रॉस स्टेशन की स्थापना, यह सभी धर्मों के लोगों को आकर्षित करता है

3 फरवरी, 2021, बोलपुर (कोलकाता): शांतिनिकेतन के मकरामपुर में शिशु जीसस चर्च की तरफ से द क्रॉस का एक स्टेशन स्थापित किया गया है। जिसमें शंकु के आकार में लॉर्ड्स को समर्पित ईसा मसीह की सूली को दर्शाया गया है।

बोलपुर में चर्च के फादर एंटोनी राज, जो आसनसोल में प्रमुख शाखा से ताल्लुक रखते है, उन्होंने कहा: यहां आनेवाले अतिथियों को यह चर्च काफी आकर्षित कर रहा है, पोप द्वारा घोषित मर्सी के जुबली वर्ष के बाद से सभी धर्मों के लोगों के लिए बीरभूम जिले में स्थित यह चर्च एक तीर्थस्थल का रूप ले चुका है। यह शांतिनिकेतन में एक अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र है, जहां लोग शांति की तलाश में आते हैं और यहां वे इस अद्वितीय आध्यात्मिक वातावरण में समय गुजारते हैं।

फादर राज ने कहा, हम इस साल पहली बार एक उत्सव मना रहे हैं, जिसकी शुरूआत 2 फरवरी 2021 को की गयी है। इस वर्ष 2 फरवरी 2021 को खुली हवा में क्रॉस के स्टेशन के उद्घाटन के साथ कुल 54 आदम कद मूर्तियों का भी उद्घाटन किया गया है, जिसमें यीशु के अंतिम यात्रा से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है, जिस पहाड़ पर सूली पर ईसा मसीह को चढ़ाया गया था, इन झलकियों में उन घटनाओं का विवरण है। कोरोना महामारी का प्रभाव कम होने के बाद हमारे पेरिस पेस्टोरल काउंसिल ने क्रॉस स्टेशन और एक ग्रेटो को हमारी लेडी ऑफ लॉर्ड्स को समर्पित करने का फैसला किया।

द क्रॉस स्टेशन, जिसे द वे ऑफ द क्रॉस के रूप में भी जाना जाता है, ईसा मसीह के क्रूस के साथ उनके सेवकों द्वारा किये जानेवाले प्रार्थनाओं का चित्रण किया गया है। प्राण त्यागने के बाद ईसा मसीह का तुरंत पुनरुत्थान होना उनके समर्थकों में ईस्टर के रूप में मनाया जाता है जो ईसाई त्योहारों में सबसे पुराना है।

शिशु जीसस चर्च में यीशु की एक प्रतिमा है, जो एक बरगद के पेड़ के पास कमल पर बैठे हुए हैं, वहां वे सभी भक्तों को ज्ञान और आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।

चर्च में स्थानीय संथाल आदिवासी के रूपांकित कला का भी चित्रण हैं, जो कोलकाता के चर्च आर्ट के सुब्रत गांगुली द्वारा डिजाइन और क्यूरेट किए गए चर्च के मुखौटे को भी शामिल किया गया हैं। एक कला और डिजाइन फैब्रिकेशन फर्म, जो कैनन के नियमों को ध्यान में रखते हुए ईसाई परंपराओं और सम्मेलनों को स्थानीय संस्कृतियों की विशेषज्ञता के तौर पर दर्शाया गया है।

इस स्टेशन में स्थानीय जनजातीय कला रूपों को शामिल किया गया है। इसमें एक माँ की भी एक मूर्ति है, जिसमें एक बच्चा और एक मेमना है माँ को दोनों का ख्याल रखते हुए दिखाया गया है। यह हमारे समुदाय और सामाजिक जीवन के बहुत केंद्र में शामिल है। इस स्टेशन में क्रॉस के अलावा एक कुटिया में 54 आदम कद प्रतिमाएं, एक शंख के आकार में शामिल कर भारतीय परंपरा को भी दर्शाया गया है।

चर्च के संस्थापक- निदेशक सुब्रत गांगुली ने कहा: कबि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कलात्मक शैली और दर्शन के साथ चर्च की सजावट को एकीकृत करने की कोशिश करते हुए शांतिनिकेतन की स्थानीय परंपराओं को शामिल किया गया है। जिसमें पेड़ के नीचे खुली हवा में चलनेवाली कक्षाओं की लोकप्रिय परंपराओं को जो उन्होंने शुरू किया गया था। शांतिनिकेतन में शुरूआत से ही ईसाई उपस्थिति और इसके प्रभाव को महसूस किया जाता रहा है।

मई 1981 से सेल्सियन से जयपुर के सूरी पल्ली के बाद सेल्सियन फादर सीरियक मनियनचिरा ने बोलपुर मिशन विकसित करने के लिए जमीन खरीदा। 1993 में इसे फादर के आर्किडॉकीज को बोलपुर का एक उपखंड सौंपा गया। वेलेरियन फर्नांडीस को आसका पहला प्रीस्ट-इन-चार्ज नियुक्त किया गया था।